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Thursday, November 21, 2013

हम और तुम

हम और तुम

एक हम है जो
हर संबन्धको परिवारसे जुटते है
हर मित्रको भाई में बदलते है
हर बंधन को पवित्र जानते है
हर चीज़को भावनासे ऊपर उठाते है

ओर एक तुम हो जो
हर सम्बन्धका उपयोग जानते है
हर मित्रका एहसान मानते है
हर संबंधकी पाबंदी नापते है
हर चीजकी कीमत लगाते  है

आपका और हमारा कैसा मिलन?

एक हैम है जो
बात  बात पे उर्मि बहाते है
त्याग में बड्डपन  मानते है
कर्तव्यकी परिभाषा जानते है
व्यव्हार पे धर्मकी लगाम लगाते है

और एक आप है
जो बात बात पे पैसे बहाते है
आवाज़ उठाने में शक्ति मानते है
हक़ कि परिभाषा सिखाते है
अर्थ और काम कि गंगा बहाते है

आपका और हमारा कैसा मिलन?



मीनल पंड्या


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