हम और तुम
एक हम है जो
हर संबन्धको परिवारसे जुटते है
हर मित्रको भाई में बदलते है
हर बंधन को पवित्र जानते है
हर चीज़को भावनासे ऊपर उठाते है
ओर एक तुम हो जो
हर सम्बन्धका उपयोग जानते है
हर मित्रका एहसान मानते है
हर संबंधकी पाबंदी नापते है
हर चीजकी कीमत लगाते है
आपका और हमारा कैसा मिलन?
एक हैम है जो
बात बात पे उर्मि बहाते है
त्याग में बड्डपन मानते है
कर्तव्यकी परिभाषा जानते है
व्यव्हार पे धर्मकी लगाम लगाते है
और एक आप है
जो बात बात पे पैसे बहाते है
आवाज़ उठाने में शक्ति मानते है
हक़ कि परिभाषा सिखाते है
अर्थ और काम कि गंगा बहाते है
आपका और हमारा कैसा मिलन?
मीनल पंड्या
एक हम है जो
हर संबन्धको परिवारसे जुटते है
हर मित्रको भाई में बदलते है
हर बंधन को पवित्र जानते है
हर चीज़को भावनासे ऊपर उठाते है
ओर एक तुम हो जो
हर सम्बन्धका उपयोग जानते है
हर मित्रका एहसान मानते है
हर संबंधकी पाबंदी नापते है
हर चीजकी कीमत लगाते है
आपका और हमारा कैसा मिलन?
एक हैम है जो
बात बात पे उर्मि बहाते है
त्याग में बड्डपन मानते है
कर्तव्यकी परिभाषा जानते है
व्यव्हार पे धर्मकी लगाम लगाते है
और एक आप है
जो बात बात पे पैसे बहाते है
आवाज़ उठाने में शक्ति मानते है
हक़ कि परिभाषा सिखाते है
अर्थ और काम कि गंगा बहाते है
आपका और हमारा कैसा मिलन?
मीनल पंड्या